Sunday, October 9, 2011

बाज़ार

पहले हम
  जाया  करते थे
               बाज़ार |
 जरूरत की चीजें 
 खरीदा करते थे
           बाज़ार से |
 अब हम नहीं जाते
                  बाज़ार |
  बाजार खुद आ गया है
                          घर में |
 हम नहीं जानते  कि
 क्या चाहिए हमें 
 बाज़ार बताता है कि
 हमें क्या चहिये
 क्या जरूरी है
           हमारे लिए |
 हम नहीं करते चिंता
 समय ही नहीं है
            हमारे पास
  कि कुछ सोचें  |
 हमारी सुबह शाम
    और रातों का रिमोट
 अपने हाथों में लेकर
 निश्चिन्त है बाज़ार
 अब घर उसके
  कब्जे में है |