मत जलाओ दीप आज
अँधेरा रहने दो
रौशनी हमें बाँट देती है
मैं और तुम में
बना देती है हमें
इस अमानिशा में आज
बस मानस प्रकाश ही झरने दो
नैन दीप में तुम
भर दो इतना स्नेह
करे पलायन अंधकार
बस एक दीप ही जलने दो
अब एक दीप ही जलने दो
अँधेरा रहने दो
रौशनी हमें बाँट देती है
मैं और तुम में
बना देती है हमें
इस अमानिशा में आज
बस मानस प्रकाश ही झरने दो
नैन दीप में तुम
भर दो इतना स्नेह
करे पलायन अंधकार
बस एक दीप ही जलने दो
अब एक दीप ही जलने दो